गूंजे अंबर बरसे सावन
भक्त वी आए तुझे मनावन
कल कल बहती जाए नदियां
बजे जो डमरू लगे सब गावन
लाए है टोली भूतों की साथ जी
पधारे वीराने भोलेनाथ जी...
धरती सूरज चंदा सारे
तीनो लोक से आए है
बहुत भयंकर प्रेत भी है संग
ढोल नगाड़े लाए है
मुख से भोले भोले निकले क्या है बात जी
पधारे वीराने भोलेनाथ जी......
आदि-नाथ ओ स्वरुप, उदय-नाथ उमा-महि-रुप। जल-रुपी ब्रह्मा सत-नाथ, रवि-रुप विष्णु सन्तोष-नाथ।
आदि-नाथ कैलाश-निवासी, उदय-नाथ काटै जम-फाँसी। सत्य-नाथ सारनी सन्त भाखै, सन्तोष-नाथ सदा सन्तन की राखै।
आदि-नाथ कैलाश-निवासी, उदय-नाथ काटै जम-फाँसी। सत्य-नाथ सारनी सन्त भाखै, सन्तोष-नाथ सन्तन की राखै।
भोले के रंग अजब निराले
पिए जो भोला विष के प्याले
नंदी पर करते है सवारी
गले में है वासुकी डाले
सबसे ऊपर नाम है नाथों के नाथ जी
पधारे वीराने भोलेनाथ जी..........